मैं अपनी सांडाई में फुला हुआ मदमस्त चाल चलता चला जा रहा था ! की अचानक कई सांड जैसी शक्ल वाले जिनावर सामने आखड़े हुए |
बोले तू कोनसा सांड है ??
मैं बोला कोनसे सांड से क्या मतलब है दिख नहीं रहा क्या?
एक सांड पास आया बोला देख हमारी बिरादरी में शामिल होजा लावारिस बनके घूमेगा कोई हमला करेगा तो अकेला क्या करेगा?
इतने में दुसरा सांड आया बोला: अबे इसकी बिरादरी में क्या रखा है हमारी बिरादरी में आ, कोई माई का लाल तेरा बाल भी बांका नहीं कर सकेगा |
इतने में तीसरा सांड आया और बोला: देख भाई तुम चाहे जिस भी बिरादरी में शामिल होना पर इतना याद रखना हमारी बिरादरी सबसे अमीर है |
मैं बोला: अबे ओ सांडनुमा जिनावारों तुम सांड नहीं तुम बैल हो कोई कोल्हू का तो कोई बैलगाड़ी वाला |
एक दूकान में रखे उत्पादन हो जिसके ऊपर ब्रांड लिखा है | जो अपनी प्योरिटी की दुहाई दे रहा है |
लेकिन मैं खुला हूँ |विचारों से मजहबी विचारों से | धर्म की दीवारों से स्वतंत्र हूँ और तुम से भी कहता हूँ की छोड़ दो ये मजहबी दायरे जो हमने ही बनाए है| जो जीवन को सुन्दर तरीके से जीने के लिए बनाए गए थे ना की आत्मा को रक्त रंजित करने के लिए| मैंने मेरी बात कहदी तुम्हे अछि लगे रखो ना लगे वापस करदो |