Wednesday, December 23, 2009

बाबाओं का मंगल ग्रह अभियान !!!


आज तड़के ४:३० बजे अमृत बेला में स्वामीश्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी के तत्वाधान
में बाबाओं की सभा रखी गई !सभी बड़े बड़े बाबाओं ने अपना बहुमूल्य
समय दिया|









वरिष्ट बाबा
बाबाश्री ताऊआनंद महाराज
ने गहरी चिंता प्रगट करते हुए कहा की अगर
विनाशकारी अपनेविनाश कार्यों को जोर शोर से अंजाम दे रहे हैं, तो हम भी अपनी शांति
स्थापन के कार्यों को जोर शोर से शुरू करेंगे ज्यादा से ज्यादा बाबा बनाएं जायेंगे|













स्वामी ललितानंद महाराज ने अपनी दिव्य द्रष्टि से संसार की गतिविधियों पर
नजर दौड़ाई और सारी हरकतों से अवगत कराते हुए बोले : इस तरह का अत्याचार
प्रकृति के साथ कतई बर्दास्त नहीं किया जाएगा!!

इससे पहले की कमंडल से जल निकाल कर कुछ
ने अपनी आत्मिक सक्ती की शांति से शांति प्रदान कर
कूल किया ! लेकिन मुझे अपने सींगो पर दया आ रही थी
चाह के भी कुछ ना कर पाया | मन को मसोस कर रह गया
वो दिन याद आ गए जब कहीं अन्याय को देख कर अपने सींगो
का प्रहार कर देता था !! पर श्री ताऊआनंद महाराज का भय सभी
को रहता है क्यूंकि श्री ताऊआनंद महाराज हर हाल में शान्ति के
चिंता प्रकट की और बोले इस तरह चलता रहा तो एक दिन गृह
नक्षत्र सारे उक चुक हो जायेंगे मनुष्य मंगल ग्रह पर फ्लैट बनाने की
अग्रिम राशी दे रहे है |चंद्रमा पर बम बारी की जा रही है,और बुध पर
जाने की सोच रहा है|

सचमुच एक नया विषय था ! स्वामी लालितानान्दजी ने तुरंत अपने
मन के मोबाइल से पं.डी.के.शर्मा"वत्स"मेसेज किया|


वार्ता चलती रही थोड़ी देर बाद पंडितजी आ पहुंचे और सभी बाबाओं के साथ प्रणाम क्रिया समापन के
बाद स्वामी ललितानंद से मुखातिब होकर याद करने का कारन पूछा|

ललितानंद जी अपनी शंका जाहिर की बोले : हे वत्सराज क्या आपने शोध किया है की अगर कोई बालक
मंगल ग्रह पर जन्म लेगा तो उसका भविष्य और कुंडली कैसे बनायी जाएगी!!

वत्सराज प्रशन वाचक दृष्टि से देखते रहे ! स्वामी ललितानंदजी ने श्री ताऊआनंद महाराज की तरफ नजर
दौड़ाई |परम ग्यानी श्री ताऊआनंद महाराज ने पंडितजी से कहा की मंगल ग्रह पर जाकर वहाँ से ग्रहों की
स्थिति को समझ लेवें,और हाँ वहाँ हो सकता है माइकल जक्सन भी मिल जाये क्यूंकि उसने मंगल ग्रह पर
फ्लैट बुकिंग के लिए अग्रिम राशी दी थी,सो हो सकता है वो स्वर्ग ना जा कर वहीँ रुका हो !! भेजने का
बंदोबस्त करने के लिए श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी को कहा ! पंडितजी ने एक शंका जाहिर की
बोले : प्रभो लंबा सफ़र है प्यास लगी तो ?
ललितानादजी तुरंत समस्या का समाधान करते हुए बोले की जाते वक़्त चंद्रमा पर रुक जाना वहां पानी
भी पी लेना और पता भी करें की वहाँ बम से क्या क्या क्षति हुई?और पानी कितना उपलब्ध है?
पंडितजी ने जब पूछा की कैसे जाया जाए तो श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी
तुरंत कहा की आखिर ये श्री श्री साढ़े सात हजार बाबा सांडनाथ !!
[baba+sand+nath.JPG]
किस दिन काम आयेंगे इनपे सवार हो के चले जाओ!!!असमंजस अवस्था में पंडितजी मंगल ग्रह के लिए
रवाना हो गए है !!!अब अगली रिपोर्ट पंडितजी के मंगल से वापस आने के बाद !!
!!!इति!!

Monday, December 21, 2009

भारत में भारतीय ना मिला||

सांड खुला है खुला ही चरता है!
भारतीयता का दम भरता है ||

पर भारत में कोई भारतीय ना मिला|
अपना बना सकूँ ऐसा कोई आत्मीय न मिला ||

जिससे भी मिला मुझसे मेरा नाम पूछा |
सब मेरे नाम से डरे मेरा पता मेरा धाम पूछा ||

मैं भारतीय हूँ मैंने सबको बताया |
पर इतने से लोगों को रास ना आया ||

सभी मुझसे मजहब प्रांत और जात पूछते हैं |
मुझे राम रहीम दोनों प्यारे वो "एक" आधार पूछते हैं !!

कोई न बना मेरा क्यूंकि मुझे तो भारतीय चाहिए था |
न हिन्दू, न मुस्लिम, न सिख, न इसाई, कोई आत्मीय चाहिए था!!

कश्मीर में कश्मीरी, बंगाल में बंगाली,
बिहार में बिहारी, असाम में असामी मिला |
क्षेत्रवाद की घटिया मिली, मजहबों के दायरे मिले,
इतनी आवाम में मुझे भारत का एक आवामी न मिला ||


Tuesday, December 1, 2009

इंसानियत को नंगा किया ||














एक बार ऐसा हुआ था गुजरात में |
दो सांड निकले थे एक बार रात में |

ख़ामोशी जहां पसरी हुई पड़ी थी |
क़त्ल की रात मुह बाए खड़ी थी||

दोनों एक दुसरे से थे भयभीत |
कौमी एकता की टूट चुकी थी प्रीत| |

भयभीत दोनों, चल तो रहे थे एक साथ |
पर चाहते हुए भी ना कर पा रहे थे बात ||

दोनों अपनी अपनी छुपा रहे थे पहचान |
पता ही नहीं चला की वो हिन्दू थे या मुसलमान||

आखिर चलते चलते दोनों की मंजिल आई |
अपने घर में घुसने से पहले दोनों ने नजरें मिलाई||

दोनों की चाल डगमगाई हुई थी |
दोनों की आँखें डबडबाई हुई थी ||


हिन्दू मुस्लिमों ने दंगा क्या किया |
इंसानियत को इन्होने नंगा किया ||

Tuesday, November 24, 2009

लेकिन मैं खुला हूँ !!!

भई कल घूमते घूमते एक शहर की भीड़ भाड़ में पहुँच गया |
मैं अपनी सांडाई में फुला हुआ मदमस्त चाल चलता चला जा रहा था ! की अचानक कई सांड जैसी शक्ल वाले जिनावर सामने आखड़े हुए |
बोले तू कोनसा सांड है ??
मैं बोला कोनसे सांड से क्या मतलब है दिख नहीं रहा क्या?
एक सांड पास आया बोला देख हमारी बिरादरी में शामिल होजा लावारिस बनके घूमेगा कोई हमला करेगा तो अकेला क्या करेगा?
इतने में दुसरा सांड आया बोला: अबे इसकी बिरादरी में क्या रखा है हमारी बिरादरी में आ, कोई माई का लाल तेरा बाल भी बांका नहीं कर सकेगा |
इतने में तीसरा सांड आया और बोला: देख भाई तुम चाहे जिस भी बिरादरी में शामिल होना पर इतना याद रखना हमारी बिरादरी सबसे अमीर है |
मैं बोला: अबे ओ सांडनुमा जिनावारों तुम सांड नहीं तुम बैल हो कोई कोल्हू का तो कोई बैलगाड़ी वाला |
एक दूकान में रखे उत्पादन हो जिसके ऊपर ब्रांड लिखा है | जो अपनी प्योरिटी की दुहाई दे रहा है |
लेकिन मैं खुला हूँ |विचारों से मजहबी विचारों से | धर्म की दीवारों से स्वतंत्र हूँ और तुम से भी कहता हूँ की छोड़ दो ये मजहबी दायरे जो हमने ही बनाए है| जो जीवन को सुन्दर तरीके से जीने के लिए बनाए गए थे ना की आत्मा को रक्त रंजित करने के लिए| मैंने मेरी बात कहदी तुम्हे अछि लगे रखो ना लगे वापस करदो |

Thursday, November 19, 2009

खुले सांड की हकीकत |

नमस्कार !! जैसा की नाम इंगित कर ही रहा है की "खुला सांड" कहाँ कहाँ जा सकता है !!! सो नाम को लेकर कोन्फुस मत होइए | भाई ये खुले सांड की नहीं, बात है विचारों को खोलने की बात है |
एक खुले सांड की तरह कल्पना लोक के उन्मुक्त गगन में अपने विचारों को खुला छोड़ दो, उड़ने दो जहां उड़ना चाहते हैं !
क्यों पाबंदिया? क्यों पहरे? किसी भी धर्म, किसी भी समाज, किसी भी संस्था के बारे में पढो समझो और सोचो !! दायरे क्यों धर्म के ? पाबंदियां क्यों मजहब की? क्यों जरुरत है मेरी पहचान की क्या ये काफी नहीं की मैं एक इन्सान हूँ ! न मुस्लिम, न हिन्दू, न सिख, न इसाई,| सब धर्म मेरे हैं सब मजहब को मैं पूजता हूँ|

Followers

www.blogvani.com
चिट्ठाजगत http://www.chitthajagat.in/?ping=http://khula-saand.blogspot.com/


For more widgets please visit 
  www.yourminis.com

Lorem

Lorem

About This Blog