Saturday, June 26, 2010

खुनी मंजर !!

सांड गया घुमाने अब सांड खुला है तो घूमेगा ही लेकिन जो नज़ारे देखे वो कुछ इस तरह थे !

हृदय विदारक मंजर है, हर इक हाथ में खंजर है!
कैसा आया अंधड़ है, अब मन की माटी बंजर है!!

क्या साधू क्या संत गृहस्थी क्या राजा क्या रानी !
सबके अर्थ अनर्थ हुए हैं करते सब मन मानी !!

सच्चा कोई मीत नहीं है प्रीत की अब कोई रीत नहीं है !
सच्चाई की जीत नहीं है प्रेम का कोई गीत नहीं है !!

धवल वस्त्र को धारण करके धरती माँ को लुट रहे !
वहशी दरिन्दे कर्णधार बन गिद्धों की नाई टूट रहे !!
देख कर अनदेखा करते अपनी भी कोई चाह नहीं!
धमनियों में पानी बहता रक्त का प्रवाह नहीं !!

सांड तेरी हृदय व्यथा का जहाँ में कोई तौल नहीं !
पशुता भली है अब जहां में इंसानियत का मोल नहीं!!










Saturday, January 23, 2010

हाँ वो सपूत वीर सुभाषचंद्र बोस ही था,

गड़..ड़..ड़..ड़...ड़..ड़..ड़.. गर्जना घनघोर थी|

तड़..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़.. ताड़ना चहुँ और थी||

आर पार तार तार शर्मसार चुनड़ी की कौर थी |

तानाशाही, क्रूरपन, मलेछों की सिरमोर थी||


भारत माँ के आँचल में जब अनगिनत छेद थे |

अंग्रेजों के प्रगाढ़ किल्ले जब पूरी तरह अभेद थे ||

रामायण के राम खोये थे , गीता और पुराण सोये थे |

बेबस सारे ग्रन्थ और कुरआन,सोये सारे वेद थे ||


दन..न..न..न..न..न..न.. दनदनाते आया था |

हड़..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़..ड़..भूचालों को लाया था ||

हाँ वो सपूत वीर सुभाषचंद्र बोस ही था,

अंग्रेजों के दांतों को जिसने लोहे का चना चबवाया था !

Saturday, January 16, 2010

क्या फ़ालतू की बात करते हो!!!

(बुरे खयालात और अच्छे ख्यालात में जंग होने लगी तो कुछ टूटता फूटा लिख डाला)

फुरसत नहीं मोहब्बत करने से |
आप नफरत करने की बात करते हो||
पाक ख़यालों की सोहबत से फुर्सत नहीं|
द्वेष को आप आत्मसात करते हो||

तोड़ने की कोशिश में हूँ मजहबी दायरे |
आप दरो दीवार की बात करते हो||
मशगुल हूँ मैं दिलों के जख्म सीने में|
आप चाके दिल करने बात करते हो ||

मैं चैनो अमन का पुजारी हूँ|
आप हुडदंग करने की बात करते हो||
मैं मेल मिलाप की बात करता हूँ|
आप हमेशां अलगाववाद करते हो||

आप हमेशां खुनी खंजर लिए फिरते हो|
इंसानियत पर आघात करते हो||
तुम किसी मजहब के नहीं फिर भी,
ना जाने कौन से मजहब की बात करते हो||

Wednesday, January 13, 2010

"टिप्पणियों के अभाव में" !!

मिलकर रहो क्या रखा है अलगाव में!!
दिल की सुनो मत बहको किसी के दबाव में!!
क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, सिक्ख ,इसाई क्या !!
इंसानियत का नाता हो आत्मा के लगाव में!!

प्रेम सोहार्द मिलते नहीं बाजार के भाव में !
भावनाओं को मत मारो खुदगर्जी के चाव में !!
जात पात घृणा नफरत तपते हुए सेहरा हैं !
सीतल प्रेम की छैंयाँ बैठो क्या रखा है ताव में!!


कहाँ किसी का भला हुआ आज तक टकराव में !
मनके मणके पिरो माला बनो क्या रखा बिखराव में !!
हर गहरा जख्म भर जाता है बोली का जख्म नहीं भरता !
मीठे बोल से सहद घोलो, दर्द बहुत है बोलों के घाव में !!

दम तोड़ देती हैं कलियाँ लापरवाही के रखरखाव में!
दया प्रेम ममता करुणा शामिल करलो स्वभाव में !!
यहाँ हर एक तुर्रम खान है यहाँ अपनी बिसात क्या!!
दम तोड़ देता है ब्लोगर धीरे धीरे "टिप्पणियों के अभाव में" !!










Saturday, January 9, 2010

इंसानी प्रेम में स्वार्थ है !!

प्रेम शब्द का इंसानों के लिए अलग अलग मतलब है| हर प्रेम में स्वार्थ है !
माँ बाप अपने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करते हैं ये लालसा रहती है की बड़ा होकर सहारा बनेगा|
बुढापे में सेवा करेगा! एक लड़की से लड़का या लड़के से लड़की इसलिए प्रेम करती है की बदले में वो भी उसे प्रेम करे |
मगर एक चिड़िया अपने अण्डों को हिफाजत करके उसमे से निकलने वाले चुज्जों को दाना चुगाकर बड़ा करती है | चुज्जे बड़े होकर उड़ जाते है| चिड़िया को किसी प्रतिफल की इच्छा नहीं !
गाय अपने बछड़े की देख रेख करती है उसे प्रेम करती है बड़ा हो कर बछडा क्या उसकी सेवा करता है?
ये है निस्वार्थ प्रेम ! ऐसा प्रेम ही पुजारी से पूज्य बनाता है | आत्मा से महात्मा बनाता है !!

Wednesday, December 23, 2009

बाबाओं का मंगल ग्रह अभियान !!!


आज तड़के ४:३० बजे अमृत बेला में स्वामीश्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी के तत्वाधान
में बाबाओं की सभा रखी गई !सभी बड़े बड़े बाबाओं ने अपना बहुमूल्य
समय दिया|









वरिष्ट बाबा
बाबाश्री ताऊआनंद महाराज
ने गहरी चिंता प्रगट करते हुए कहा की अगर
विनाशकारी अपनेविनाश कार्यों को जोर शोर से अंजाम दे रहे हैं, तो हम भी अपनी शांति
स्थापन के कार्यों को जोर शोर से शुरू करेंगे ज्यादा से ज्यादा बाबा बनाएं जायेंगे|













स्वामी ललितानंद महाराज ने अपनी दिव्य द्रष्टि से संसार की गतिविधियों पर
नजर दौड़ाई और सारी हरकतों से अवगत कराते हुए बोले : इस तरह का अत्याचार
प्रकृति के साथ कतई बर्दास्त नहीं किया जाएगा!!

इससे पहले की कमंडल से जल निकाल कर कुछ
ने अपनी आत्मिक सक्ती की शांति से शांति प्रदान कर
कूल किया ! लेकिन मुझे अपने सींगो पर दया आ रही थी
चाह के भी कुछ ना कर पाया | मन को मसोस कर रह गया
वो दिन याद आ गए जब कहीं अन्याय को देख कर अपने सींगो
का प्रहार कर देता था !! पर श्री ताऊआनंद महाराज का भय सभी
को रहता है क्यूंकि श्री ताऊआनंद महाराज हर हाल में शान्ति के
चिंता प्रकट की और बोले इस तरह चलता रहा तो एक दिन गृह
नक्षत्र सारे उक चुक हो जायेंगे मनुष्य मंगल ग्रह पर फ्लैट बनाने की
अग्रिम राशी दे रहे है |चंद्रमा पर बम बारी की जा रही है,और बुध पर
जाने की सोच रहा है|

सचमुच एक नया विषय था ! स्वामी लालितानान्दजी ने तुरंत अपने
मन के मोबाइल से पं.डी.के.शर्मा"वत्स"मेसेज किया|


वार्ता चलती रही थोड़ी देर बाद पंडितजी आ पहुंचे और सभी बाबाओं के साथ प्रणाम क्रिया समापन के
बाद स्वामी ललितानंद से मुखातिब होकर याद करने का कारन पूछा|

ललितानंद जी अपनी शंका जाहिर की बोले : हे वत्सराज क्या आपने शोध किया है की अगर कोई बालक
मंगल ग्रह पर जन्म लेगा तो उसका भविष्य और कुंडली कैसे बनायी जाएगी!!

वत्सराज प्रशन वाचक दृष्टि से देखते रहे ! स्वामी ललितानंदजी ने श्री ताऊआनंद महाराज की तरफ नजर
दौड़ाई |परम ग्यानी श्री ताऊआनंद महाराज ने पंडितजी से कहा की मंगल ग्रह पर जाकर वहाँ से ग्रहों की
स्थिति को समझ लेवें,और हाँ वहाँ हो सकता है माइकल जक्सन भी मिल जाये क्यूंकि उसने मंगल ग्रह पर
फ्लैट बुकिंग के लिए अग्रिम राशी दी थी,सो हो सकता है वो स्वर्ग ना जा कर वहीँ रुका हो !! भेजने का
बंदोबस्त करने के लिए श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी को कहा ! पंडितजी ने एक शंका जाहिर की
बोले : प्रभो लंबा सफ़र है प्यास लगी तो ?
ललितानादजी तुरंत समस्या का समाधान करते हुए बोले की जाते वक़्त चंद्रमा पर रुक जाना वहां पानी
भी पी लेना और पता भी करें की वहाँ बम से क्या क्या क्षति हुई?और पानी कितना उपलब्ध है?
पंडितजी ने जब पूछा की कैसे जाया जाए तो श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी
तुरंत कहा की आखिर ये श्री श्री साढ़े सात हजार बाबा सांडनाथ !!
[baba+sand+nath.JPG]
किस दिन काम आयेंगे इनपे सवार हो के चले जाओ!!!असमंजस अवस्था में पंडितजी मंगल ग्रह के लिए
रवाना हो गए है !!!अब अगली रिपोर्ट पंडितजी के मंगल से वापस आने के बाद !!
!!!इति!!

Monday, December 21, 2009

भारत में भारतीय ना मिला||

सांड खुला है खुला ही चरता है!
भारतीयता का दम भरता है ||

पर भारत में कोई भारतीय ना मिला|
अपना बना सकूँ ऐसा कोई आत्मीय न मिला ||

जिससे भी मिला मुझसे मेरा नाम पूछा |
सब मेरे नाम से डरे मेरा पता मेरा धाम पूछा ||

मैं भारतीय हूँ मैंने सबको बताया |
पर इतने से लोगों को रास ना आया ||

सभी मुझसे मजहब प्रांत और जात पूछते हैं |
मुझे राम रहीम दोनों प्यारे वो "एक" आधार पूछते हैं !!

कोई न बना मेरा क्यूंकि मुझे तो भारतीय चाहिए था |
न हिन्दू, न मुस्लिम, न सिख, न इसाई, कोई आत्मीय चाहिए था!!

कश्मीर में कश्मीरी, बंगाल में बंगाली,
बिहार में बिहारी, असाम में असामी मिला |
क्षेत्रवाद की घटिया मिली, मजहबों के दायरे मिले,
इतनी आवाम में मुझे भारत का एक आवामी न मिला ||


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