एक खुले सांड की तरह कल्पना लोक के उन्मुक्त गगन में अपने विचारों को खुला छोड़ दो, उड़ने दो जहां उड़ना चाहते हैं !
क्यों पाबंदिया? क्यों पहरे? किसी भी धर्म, किसी भी समाज, किसी भी संस्था के बारे में पढो समझो और सोचो !! दायरे क्यों धर्म के ? पाबंदियां क्यों मजहब की? क्यों जरुरत है मेरी पहचान की क्या ये काफी नहीं की मैं एक इन्सान हूँ ! न मुस्लिम, न हिन्दू, न सिख, न इसाई,| सब धर्म मेरे हैं सब मजहब को मैं पूजता हूँ|
स्वागत है आपका । ब्लोग जगत में
ReplyDeleteस्वागत है आपका । ब्लोग जगत में
ReplyDeleteआपका स्वागत है ब्लाग जगत में, आपका भी और आपके विचारों का भी ।
ReplyDeleteआपका स्वागत है ब्लागजगत मे।टिप्पणी के लिये धन्यवाद नाम मे क्या रखा हैबस एक इन्सान होना आज कल बहुत बडी बात है। शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर स्वागत है ………
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है -
ReplyDeletehttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!
ब्लाग जगत में सांड की बहुत जरूरत थी.......... आप आ गये अच्छा हुआ..
ReplyDeleteस्वागत है लाल लगोंट लिए कोई आता ही होगा आपके सामने सांड साहब कुछ तो हरी लिए घूम रहे हैं देखो धर्म को भी रंग से परिभाषित कर रहे हैं अब तुम आ गए हो तो शायद सुधरें मुए. तुम्हारी ज़रुरत है भाई फिर अपन तो हाथ जोड़ के स्वागत की मुद्रा में है पर गलत को इग्नोर मत करना भाई वैसे कौन हो पता तो चलजाएगा
ReplyDeleteमाउनटेंन व्यू कैलिफोर्निया यूं एस से खुल्ला सांड का स्वागत है
ReplyDeleteव्हेरिफिकेशन तो हटा लो भाई साहब
आपका स्वागत है मित्र, इंसान का कोई मजहब नही होता यदि वह सच्चा इंसान है तो।
ReplyDeletekuchh ghaas mere blog par bhi rakhi hai,...aaiye...
ReplyDeletekaa ji saand ji!! khulaa kisane chhod diyaa!!
ReplyDeleteउम्मीद है, कि भाग नहीं खड़े होगे :-), जिन शानदार विचारों की बात कर रहे हो उनको नमन है , मगर कायम रहिएगा , !
ReplyDeleteशुभकामनायें
अरे कमेंट करने वाले तो खुला सांड़ नहीं हैं
ReplyDeleteमरवाओगे तो नहीं!
मेरे शहर में एक सांड़ बनारसी रहते हैं उन्हीं के बिरादरी के तो नहीं हो?
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ReplyDeleteसांड भी तो घास खाते है :)
ReplyDeleteखुले सांड की हकीकत |
ReplyDeleteपढ़कर मन गदगद हो गया। जितनी भी तारीफ की जाए कम है।
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है अपने विचारों की अभिव्यक्ति के साथ साथ अन्य सभी के भी विचार जाने..!!!लिखते रहिये और पढ़ते रहिये....
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteyou are most welcome and ye to duniya ka ek anokha ajooba hai ki ye saand na sirf likha padha hai par ye computer literate bhi hai aur itni achchhi hindi jaanta hai .......
ReplyDeleteआपका स्वागत है ब्लाग जगत में, आपका भी और आपके विचारों का भी ।
ReplyDeletegreat! superb! u r really a bull of freedom.Welcome
ReplyDeleteवाह क्या बात है, सांडों की वास्तव में ही बहुत आवश्यकता है, भेंसासुरों को तो लोग भगा देते हैं, डते रहना, पर गुर ये है कि---एसा सांड होना चाहिये--
ReplyDelete""चक्री त्रिशूली, न शिवो न विष्णु; महा बलिश्ठो न च भीमसेन
स्वच्छन्दचारी न न्रपति न योगी; यो जानाति सः पन्डितः ॥""
----नीचे लिख पते पर भी कुछ घास है-
http://shyamthot.blogspot.com & saahityshyam
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
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