माँ बाप अपने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करते हैं ये लालसा रहती है की बड़ा होकर सहारा बनेगा|
बुढापे में सेवा करेगा! एक लड़की से लड़का या लड़के से लड़की इसलिए प्रेम करती है की बदले में वो भी उसे प्रेम करे |
मगर एक चिड़िया अपने अण्डों को हिफाजत करके उसमे से निकलने वाले चुज्जों को दाना चुगाकर बड़ा करती है | चुज्जे बड़े होकर उड़ जाते है| चिड़िया को किसी प्रतिफल की इच्छा नहीं !
गाय अपने बछड़े की देख रेख करती है उसे प्रेम करती है बड़ा हो कर बछडा क्या उसकी सेवा करता है?
ये है निस्वार्थ प्रेम ! ऐसा प्रेम ही पुजारी से पूज्य बनाता है | आत्मा से महात्मा बनाता है !!
हम भी निस्वार्थ प्रेम से घास डाल रहे है इस खुले सांड कॊ... कोई लालच नही
ReplyDeleteबिल्कुल सही।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
बहुत सुंदर बात कही है .......... जय हो .........
ReplyDeleteजीवन की सच्चाई को सच साबित करती एक बेहतरीन रचना के लिए बधाई।
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