दिल की सुनो मत बहको किसी के दबाव में!!
क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, सिक्ख ,इसाई क्या !!
इंसानियत का नाता हो आत्मा के लगाव में!!
प्रेम सोहार्द मिलते नहीं बाजार के भाव में !
भावनाओं को मत मारो खुदगर्जी के चाव में !!
जात पात घृणा नफरत तपते हुए सेहरा हैं !
सीतल प्रेम की छैंयाँ बैठो क्या रखा है ताव में!!
कहाँ किसी का भला हुआ आज तक टकराव में !
मनके मणके पिरो माला बनो क्या रखा बिखराव में !!
हर गहरा जख्म भर जाता है बोली का जख्म नहीं भरता !
मीठे बोल से सहद घोलो, दर्द बहुत है बोलों के घाव में !!
दम तोड़ देती हैं कलियाँ लापरवाही के रखरखाव में!
दया प्रेम ममता करुणा शामिल करलो स्वभाव में !!
यहाँ हर एक तुर्रम खान है यहाँ अपनी बिसात क्या!!
दम तोड़ देता है ब्लोगर धीरे धीरे "टिप्पणियों के अभाव में" !!
वाह वाह
ReplyDeleteआज सांड महाराज का मूड बड़ा अच्छा लगता हैं. बड़ी गंभीर बात कह दी. बिलकुल सही, यह बाहर की दुनिया में कम गलियां सुनते हैं जो अब यहाँ पर भी सुने. ब्लॉग जगत में प्रेम का गीत गाते हुए आईये भाईचारे के साथ एक दुसरे की रचनाओ को चरते चले. आपकी रचना चर ली हैं और डकार भी मार ली. आईये हमारे ब्लॉग पर और चर डालिए सारीरचनाये
दम तोड़ देती हैं कलियाँ लापरवाही के रखरखाव में!
ReplyDeleteदया प्रेम ममता करुणा शामिल करलो स्वभाव में !!
यहाँ हर एक तुर्रम खान है यहाँ अपनी बिसात क्या!!
दम तोड़ देता है ब्लोगर धीरे धीरे "टिप्पणियों के अभाव में" !!
वाह वाह लो जी अप टिप्पणी का अभाव नहीं रहेगा। शुभकामनायें आशीर्वाद्
सींग चलाने का अंदाज अच्छा लगा ,अंतिम चार लाइनें एकदम सटीक लगीं
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर रचना
धन्यवाद .........
ये लो सांड महाराज आपकी रचना भी हमने चर ली है और अब टिपिया भी रहे है हमारी तरफ़ से आपको टिप्पणी की कोई कमी नही रहेगी। हम टिप्पणी दे्ने मे कोई कमी नही करते है, अब कुछ देर बैठ कर यहीं जुगाली कर रहे हैं। और प्रारंभ मे 5 टिप्पणियों का एक गट्ठा डाल रहे हैं। बस ऐसे ही नेक काम करो लेकिन किसी को सींगों से मारने के लिए मत दौड़ाना।
ReplyDeleteअरे आप भी आ गए ब्लालिंग में जय हो सांड महाराज की ....
ReplyDeleteये लो सांड महाराज आपकी रचना भी हमने चर ली है और अब टिपिया भी रहे है हमारी तरफ़ से आपको टिप्पणी की कोई कमी नही रहेगी। हम टिप्पणी दे्ने मे कोई कमी नही करते है, अब कुछ देर बैठ कर यहीं जुगाली कर रहे हैं। और प्रारंभ मे 5 टिप्पणियों का एक गट्ठा डाल रहे हैं। बस ऐसे ही नेक काम करो लेकिन किसी को सींगों से मारने के लिए मत दौड़ाना।
ReplyDeleteये लो सांड महाराज आपकी रचना भी हमने चर ली है और अब टिपिया भी रहे है हमारी तरफ़ से आपको टिप्पणी की कोई कमी नही रहेगी। हम टिप्पणी दे्ने मे कोई कमी नही करते है, अब कुछ देर बैठ कर यहीं जुगाली कर रहे हैं। और प्रारंभ मे 5 टिप्पणियों का एक गट्ठा डाल रहे हैं। बस ऐसे ही नेक काम करो लेकिन किसी को सींगों से मारने के लिए मत दौड़ाना।
ReplyDeleteये लो सांड महाराज आपकी रचना भी हमने चर ली है और अब टिपिया भी रहे है हमारी तरफ़ से आपको टिप्पणी की कोई कमी नही रहेगी। हम टिप्पणी दे्ने मे कोई कमी नही करते है, अब कुछ देर बैठ कर यहीं जुगाली कर रहे हैं। और प्रारंभ मे 5 टिप्पणियों का एक गट्ठा डाल रहे हैं। बस ऐसे ही नेक काम करो लेकिन किसी को सींगों से मारने के लिए मत दौड़ाना।
ReplyDeleteये लो सांड महाराज आपकी रचना भी हमने चर ली है और अब टिपिया भी रहे है हमारी तरफ़ से आपको टिप्पणी की कोई कमी नही रहेगी। हम टिप्पणी दे्ने मे कोई कमी नही करते है, अब कुछ देर बैठ कर यहीं जुगाली कर रहे हैं। और प्रारंभ मे 5 टिप्पणियों का एक गट्ठा डाल रहे हैं। बस ऐसे ही नेक काम करो लेकिन किसी को सींगों से मारने के लिए मत दौड़ाना।
ReplyDeleteदम तोड़ देती हैं कलियाँ लापरवाही के रखरखाव में!
ReplyDeleteदया प्रेम ममता करुणा शामिल करलो स्वभाव में !!
यहाँ हर एक तुर्रम खान है यहाँ अपनी बिसात क्या!!
दम तोड़ देता है ब्लोगर धीरे धीरे "टिप्पणियों के अभाव में" !!
वाह, क्या बात कह दी सांड जी आपने , अगर हर सांड ऐसे ही उच्च विचार रखे तो क्या कहने इस देश का ,
बहुत सुन्दर रचना !
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद!!!!घास डालने के लिए!!!
ReplyDeleteअजी वाह यह खुला सांड तो बाते बंधन की ओर अच्छी अच्छी करता है, सच्ची बहुत अच्छा सांड है, हम भी घास डाल देते है प्रेम की ताकि आंईदा भी खुब अच्छा अच्छा देता रहे
ReplyDeleteबहुत अच्छी ओर सुंदर लगी आप की यह रचना
कहाँ किसी का भला हुआ आज तक टकराव में !
ReplyDeleteमनके मणके पिरो माला बनो क्या रखा बिखराव में ...
सच कहा है बाबा .......... हमारा देश जो जाती, धर्म और न जाने कितनी बातों में बँटा हुवा है ........ अगर एक माला में मिल जाए तो क्या बात है ..........
एक गट्ठा घास ये भी ले लो भई...कोई परेशान न हो!!!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteलोहड़ी पर आपको भी शुभकामनाएं।
ReplyDeleteजय हो शिव वाहन नंदी जी महाराज के चिर सखा , सांड जी ब्लोग्गिंग में पधार कर इत्ती बढिया बात कर रहे हैं,अब मजाल है जो कोई इस बात को टाल सके। महाराज एक सांडनाथ बाबा पहले से हैं ई मैदान में । आप लोगन के आने से मेनका गांधी को कितना अपनापन टाईप का फ़ीलींग हुआ है , क्या बताएं । जय बाबा सांड की जय
ReplyDeleteअजय कुमार झा
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteअब तो सिद्ध हो गया कि ये हिन्दी ब्लॉगजगत नहीं बल्कि एक विशुद्ध चिड़िया-घर है जहाँ लोगों को अपनी बात समझाने के लिए साँड़ को खोल के उसके सींग से डराना पड़ता है।
Alas !!
जय हो सांड महाराज की।
ReplyDeleteदिलचस्प अंदाज़ , आपकी बेहद कमी थी, उम्मीद है हर गली में निश्चिन्त हो घूमोगे ! कुछ लोग पालने की कोशिश करेंगे , सावधान रहना !
ReplyDeleteHumko maloom na thaa....
ReplyDelete"Saand bhi cute hote hain"
दम तोड़ देती हैं कलियाँ लापरवाही के रखरखाव में!..
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